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वन अपराध से मुक्त हुआ वाहन, वन विभाग की राजसात की कार्यवाही निरस्त।

बैतूल। मप्र राज्य। यह वन अपराध का मामला वन मंडल उत्तर बैतूल का हैं। वन परिक्षेत्र सारणी द्वारा वन अपराध में महिन्द्र बोलेरो एवं मोटर साईकल जप्त करी थी। वन अपराध क्र0 184/23 दिनांक 19.02.2020 को तीन ट्रक एवं बोलेरो एवं मोटर साईकल को जप्त किया गया था। उपवन मंडलाधिकारी शाहपुर द्वारा वाहन को राजसात कर लिया गया था। मुख्य वन संरक्षक बैतूल द्वारा वाहनों के राजसात के आदेश को सही ठहराया गया था।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बैतूल की अदालत में सीसीएफ के आदेश के विरूद्ध पुनरीक्षण याचिका दायर हुई थी। न्यायालय ने पाया कि बोलेरो एवं मोटर साईकल में वन विभाग द्वारा वनोपज जप्त नही की गई थी। वन अपराध में उसी वाहन को राजसात किया जा सकता हैं जिसमें वन उपज पाई गई हैं। न्यायालय ने पुनरीक्षण याचिका को स्वीकार करते हुए बोलेरो वाहन एवं मोटर साईकाल को वाहन स्वामी को वापस लौटाने के आदेश जारी कर दिए। न्यायालय के आदेश का पालन करने में वन विभाग को महिने भर से ज्यादा का समय लग जाता हैं तब तक वाहन स्वामी वन विभाग के चक्कर काटता रहता हैं। अंततः वन विभाग ने वाहन स्वामी को वाहन वापस लौटा दिया हैं।
न्यायालय ने सीसीएफ के आदेश में वैधानिक दोष पाते हुए आदेश को अपास्त कर दिया हैं। सीसीएफ को यह निर्देश दिया हैं कि इस तथ्य की जांच करें कि वन उपज कोयला तीनों वाहनों में मोजूद था अथवा नहीं था और जप्तशुदा कोयला वन उपज हैं अथवा नहीं हैं।
वन विभाग के विरूद्ध अक्सर यह शिकायते मिलती हैं कि जप्तशुदा वाहनों के महंगे कलपुर्जे वनकर्मी बेच खाते हैं। कोई निगरानी तंत्र नहीं हैं, कोई व्यवस्था नहीं हैं जिसमें वाहन स्वामी को वाहन ठीक उसी स्थिति में लौटाया जावे जिस स्थिति में जप्त किया गया था। वन विभाग वाहन जप्त करते सयम एवं वाहन लौटाते समय मेकनिकल जांच वाहन की करवाता नहीं हैं। यह व्यवस्था का सबसे बड़ा दोष हैं।

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